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ससुराल का वो मेरा पहला दिन | First Day After Marriage

First day after marriage - My first day of in-laws

My first day of in-laws - ससुराल का वो मेरा पहला दिन 

हर लड़की के जीवन में ये दिन First day after marriage, जरूर आता है। इस दिन को लेकर एक लड़की तरह तरह के सपने देखती है। इसी तरह मैं भी कही वो सपना देख रही थी। कहते हैं पति का प्यार मिल जाए तो दुनिया खूबसूरत लगने लगती है। और हर लड़की चाहती है उसका ससुराल उसके मायके जैसा ही हो। जैसे हो मायके में पली बढ़ी है वैसा ही उस ससुराल मिले सब उसे प्यार करे। 


मुझे याद है मेरी शादी होने वाली थी। और मेरी उम्र काफी कम ही थी। कुछ 20 साल की थी मैं। मेरे दरवाजे पे बारात आ चुकी थी। सब लोग खुश दिखाई दे रहे थे पर उस खुशी के पीछे एक बहुत बड़ा गम था, जिस बेटी को इतने नाज़ों से पाला था आज वो किसी और के घर जाने वाली थी और इस बात को सोच कर ही किसी भी माता पिता का दिल भर आता है। 

जिस बेटी को कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी। किसी चीज के लिए कभी रोक टोक नहीं किया, वो आज पराई हो जायेगी। पता नहीं ससुराल जा कर कैसे रहेगी। वहाँ के लोग कैसे होंगे मेरी बेटी को कैसे रखेगे। ये सब सोच कर पिता का दिल भर आ रहा था। 

गाने बज रहे थे। लोग आ जा रहे थे । पूरे घर में मेहमान आये हुए थे। और मैं एक कमरे में बैठी तैयार हो रही थी। मन में बहुत सारे ख्याल आ रहे थे। जिस घर में कल तक मैं खेल रही थी, गाने गा रही थी नाच रही थी अब वो घर मेरे बिना सुना हो जायेगा। मैं तो चली जाउंगी नये घर में मुझे तो नये लोग मिलेंगे लेकिन मेरे माता पिता मेरे बिना कैसे रहेगे। माँ के कामों में कौन हाथ बटाएगा, जब घर में पापा भैया नहीं होंगे तो माँ से कौन बाते करेगा। जब पापा थके हरे घर आयेगें तो पानी का ग्लास लेकर कौन दौड़ेगा। यही सब बाते दिमाग में चल रही थी और आँखे आँसुओ से भर आ रही थी। 

My first day of in-laws - ससुराल का वो मेरा पहला दिन

कल तक मैं जिस बेड पे किसी को बैठने नहीं देती थी, की मेरा बेड है। अब इस बेड पे मैं सोने के लिए नहीं रह जाउंगी। मेरे दोस्त भी अकेले हो जायेंगे मेरे बिना। इतने में आवाज़ आयी पंडित जी बुला रहे हैं। और दिल धक से किया ऐसा लग रहा था की ये रात कभी न बीते और मैं ये घर छोड़ कर कभी न जाऊँ। 


खैर मैं सबको छोड़ कर गाड़ी में बैठी ससुराल आने के लिए माँ का तो बुरा हाल था रो रो कर भैया भी रो रहा था। पापा भी छिपा रहे थे पर मैं जानती हूँ वो बहुत रो रहे थे। अब मेरे साथ मेरे पति थे जो रास्ते भर मेरा हाथ पकड़ कर मेरा साथ दे रहे थे जो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैं अपनो को छोड़ कर जा रही थी पर मुझे अहसास हो रहा था मेरे साथ कोई अपना जा रहा था जो मेरा साथ देने वाला था जिंदगी भर। 


झटके से गाड़ी रुकी और मेरी नींद खुली पता चला मेरा ससुराल आ गया था। सब लोग रस्मे निभाने के लिए गाड़ी के पास आ गए थे। सारे नये चेहरे मेरे सामने थे जो मेरे अपने होने वाले थे। मुझे बहुत रोना आ रहा था। लग रहा था सब छोड़ कर मैं अभी अपने माँ के पास चली जाऊ और कहू मैं यही रहने वाली हूँ, मुझे नहीं जाना दूसरा घर जहाँ मैं किसी को जानती तक नहीं। 


पर ऐसा नहीं हो सकता था। अब मैं घर पहुँच गयी थी। बहुत सारे नये चेहरे मेरे आस पास थे। सब मुझे देख रहे थे। उस घर में मुझे लग रहा था मेरा कोई अपना नहीं है बस इतने देर में पति अपना लगने लगे थे। बस लग रहा था मेरे पति मेरे पास रहे। और सब मुझे पराये लग रहे थे। First day after marriage

इतने में मेरे लिए खाना आया, पर मेरे से खाया नहीं जा रहा था मुझे खाने की तरफ देखा भी नहीं जा रहा था। सब लोग बस खाने के लिए कह रहे थे। लेकिन मैं नहीं खा पायी। फिर मुझे मेरा कमरा दिखाया गया जहाँ मुझे सोना था। पर मुझे नींद कहा आ रही थी मुझे तो माँ की और मेरे घर की याद आ रही थी। 


उस दिन मेरे पति मेरे साथ कमरे में नहीं थे। मैं अकेली थी। मेरे में घर बात करने की हिम्मत भी नहीं थी। रोना बहुत आ रहा था। पर मेरे पति मेरा बहुत साथ दे रहे थे।


इस तरह बिता मेरा पहला दिन ससुराल में। First day after marriage


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