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श्री कृष्ण और राधा जी का गहरा प्रेम | Radha Krishna Love Story

Radha Krishna Love Story

राधा कृष्ण की प्रेम कहानीRadha Krishna Love Story


आज हम आपको सुनाएंगे श्री कृष्ण और राधा रुक्मणी जी की प्रेम कहानी, Radha Krishna Love story, तो चलिए सुरु करते है।

राधा कृष्ण का प्रेम



एक दिन कृष्ण और रुक्मणी दोनो भोजन कर रहे थे कृष्ण ने खाते-खाते कहा प्रिये आज भोजन बोहोत स्वादिष्ट लग रहा है। किसने बनाया है। रुक्मणी ने कहा स्वामी आज मैंने बनाया है। भोजन के बाद, रुक्मणी ने श्री कृष्ण को दूध पीने के लिए दिया। कृष्ण ने दूध का एक घुट भरा ओर उनके मुख से !हे राधे! शब्द निकल गया। क्यो की दूध ज्यादा गरम था,


दूध ज्यादा गरम होने के कारण श्री कृष्ण के हृदय में लगा और उनके श्रीमुख से निकल गया " हे राधे ! " यह शब्द सुनते ही रुक्मणी बोली । है प्रभु ! क्या मैं आपसे एक बात पुछ सकती हुं। कृष्ण ने मुस्कुराते हुए कहा हा बोलो प्रिये । और रुक्मणी ने कहा, ऐसा क्या है राधा जी में, जो आपकी हर साँस पर सिर्फ राधाजी का ही नाम होता है। प्रभु मैं भी तो आपसे अपार प्रेम करती हूँ।

राधा कृष्ण जी की कथा- Radha Krishna Love Story in Hindi 


फिर भी, आप हमें कभी नहीं पुकारते। रुक्मणी की यह बात सुनकर श्री कृष्ण ने कहा । देवी ! आप कभी राधा से मिली हैं। रुक्मणी सोचने लगी और श्रीकृष्ण मंद मंद मुस्काने लगे... रुक्मणी यह सोच रही थी की राधाजी को मिलना तो पडे़गा ही। अगले ही दिन रुक्मणी कृष्ण को बताए बिना राधाजी से मिलने उनके महल में पहुंची। 

रुक्मणी ने राधाजी के कक्ष के बाहर एक अत्यंत खूबसूरत स्त्री को देखा और उनके मुख पर तेज होने के कारण रुक्मणी ने सोचा की ये ही राधाजी है। और उनके चरण छुने लगी। तभी वह खुबसूरत स्त्री बोली। आप कौन हैं। रुक्मणी ने अपना परिचय दिया और आने का कारण बताया, तब वह स्त्री बोली, मैं राधा नही हु। मैं उनकी दासी हूँ। राधाजी तो सात द्वार के बाद आपको मिलेंगी!! (Radha krishna love story)


रुक्मणी ने सोचा की चलो राधाजी के उन सातो द्वार को पार कर लेते है। पर झोभी हो राधाजी का दर्शन करके ही जाएंगे आज, रुक्मणी ने आसानी से सातो द्वार पार किये. पर हर द्वार पर एक से एक सुन्दर दासी को देख सोच रही थी क़ी-अगर उनकी दासियाँ इतनी रूपवान हैं। तो स्वयं राधारानी कैसी होंगी। रुक्मणी सोचते हुए राधाजी के कक्ष में पहुंची. और कक्ष में राधा जी को देखा- पर वह देखती ही रह गई क्योंकि राधा अत्यंत रूपवान तेजस्वी जिसका मुख सूर्य से भी तेज चमक रहा था। रुक्मणी सहसा ही उनके चरणों में गिर पड़ी.

राधा कृष्ण की कहानी- Radha Krishna ki Love Story 

मेरा प्रणाम स्वीकार करे राधाजी पर ये क्या राधा जी आपके पुरे शरीर पर तो छाले पड़े हुए है। और रुक्मणी ने पूछा देवी आपके शरीर पे ये छाले कैसे, तब राधा जी ने रुक्मणी को कहा देवी- कल भोजन के बाद जो आपने कृष्णजी को दूध दिया था वो ज्यादा गरम था। जिससे उनके ह्रदय पर छाले पड गए. और उनके ह्रदय में तो सदैव मेरा ही वास रहता है।


इसलिए मुझे यह सब हुआ, और यह सब देखकर रुक्मणी की आंखो से आंसु निकल आए राधाजी मुझे शमा करे। मुझे नही पता था की आप कृष्णजी से इतना प्रेम करती है। और मैंने शक किया, कृष्णजी ने सायद सही कहा था कि आपने अभी तक राधा को नही देखा है। मगर आज आपको देख लिया और आपके प्रेम को भी पहचान लिया। आपको कोटी-कोटी वंदन

प्रेम से कहिये जय श्री राधे राधे 




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