कहानी जिदंगी की - Motivational Stories
मेरे मोहल्ले में रहने वाले मेरे मामाजी की होशियार लड़की उन दिनों सबसे आदर्श लड़की समझी जाती थी। हर परिवार में दीदी की मिसालें दी जाती थीं। मामाजी डिग्री कॉलेज में बॉटनी के विभागाध्यक्ष थे। अपनी बेटी को पढ़ने लिखने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। दीदी हर साल स्कूल ,कॉलेज की परीक्षाओं में टॉप करती थी। कक्षा1 से लेकर अंग्रेज़ी में एम फिल करने तक उनका टॉप करने का रिकॉर्ड कभी नहीं टूटा।
बुनाई ,सिलाई- कढ़ाई , शास्त्रीय नृत्य में पारंगत, गायन वादन में प्रवीण , पाक कला में कुशल होने के साथ साथ दीदी देखने मे भी बहुत सुंदर थीं। वे कुछ ऐसी दिखती थीं?
उस ज़माने में लड़कियों को नौकरी करने की इजाज़त नहीं मिला करती थी। नतीजतन दीदी की पढ़ाई खत्म होने के बाद उनके विवाह के लिए सुयोग्य वर की खोज की गई।कोई कमी न होते हुए और मामाजी के अथक प्रयासों के बावजूद दीदी की शादी में बहुत विलंब हुआ। लगभग 30/31 की अवस्था मे आखिर उनका विवाह निश्चित हुआ। होने वाले जीजा जी रूप रंग में दीदी के सामने कहीं नहीं ठहरते थे मगर बुद्धि के धनी थे।विवाह होने के समय वे बेरोजगार थे इसलिए विवाह के प्रारंभिक वर्ष घोर आर्थिक कष्टों में कटे उसके बाद धीरे धीरे स्थितियां बदलीं और जीजाजी को रूस में वैज्ञानिक के तौर पर आमंत्रित किया गया।
अब दीदी लगभग 55 वर्ष की हैं। अपने परिवार के साथ सुखमय जीवन बिता रही हैं। जिस शिक्षा को इतनी मेहनत से उन्होंने पाया उसका कोई उपयोग नहीं कर पायीं और उनके जिन गुणों पर मोहल्ले की सभी महिलाएं हम जैसी बाकी लड़कियों को नसीहतें दिया करती थीं वे भी किसी काम नही आये।
केवल विधाता ही जानता है कि किस व्यक्ति के जीवन मे क्या होगा। हम मनुष्य तो कठपुतली भर हैं, उसके इशारों पर नाचते रहते हैं।
Kahani Rishte Ki - टीम / Motivational Stories
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