शादी की पहली रात !!
लड़कियां भी मनुष्य है। शादी से पहले हर लड़की अपनी पहली रात के बारे में काफी कुछ सोचती हैं। उन्हें अपनी शादी से जितनी ज्यादा उम्मीदें होती हैं उतनी ही पहली रात की उत्सुकता होती है क्या उनमें काम उत्सुकता होना स्वाभाविक नहीं है ? आजकल महिलाओं पर हो रहे बढ़ते अत्याचारों के कारण, लड़कियां शादी न करने का विचार करती है। किंतु इसका ये अर्थ नहीं सभी लड़कियां वैसी ही है। कदाचित आपको पता हो कि आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य ने स्वयं कहा था
स्त्रीणा द्विगुण अहारो लज्जा चापि चतुर्गुणा । साहसं, षडगुणं चैव कामश्चाष्टगुणः स्मृतः ॥५७॥
अर्थात एक पुरुष के मुकाबले महिलाओं में दुगनी भूक, चौगुनी लज्जा, छह गुना अधिक साहस व आठ गुना अधिक यौन इच्छा होती है। सुनने मे बहुत अव्यावहारिक लगता है, किंतु यही सत्य है। और इसमें कोई बुराई मुझे दिखाई नहीं देती। किंतु कुछ लोग चाहे महिला हो या पुरुष अपनी शक्ति का समाज के दबाव से या बुद्धि के अविकास से बहुत अनुचित पथ पर ले जाते है। और तब निर्माण होता है कुप्रथाओं का।
कृपया इस प्रकार के फर्जी प्रश्न अपने मस्तिष्क से निकाल दें। हम सभी मनुष्यो को देवताओं ने एक समान ही बनाया है और कोई असमानता की जगह छोड़ दी दकी इसी प्रकार नए मनुष्यो का सृजन होता रहे। मुझे आशा है आपको उत्तर मिल गया होगा।
लेखन और संपादन: कहानी रिश्ते की : टीम
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