होली पर निबंध - Story of Holi in Hindi
हमारे देश में हर साल होली का त्योहार बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। यह रंग विरंगे रंगों का त्योहार है। होली के दिन सभी गिले शिकवे भूल कर रंग लगाते हैं और गले मिलते हैं। यह फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। होली के एक दिन पहले होलिका दहन मनाई जाती है, जिसमे पवित्र अग्नि प्रज्वलीत की जाती है।
होलिका दहन की बहुत सी पुरानी कहानियाँ सुनने को मिलती हैं जिनमे की एक है भक्त प्रह्लाद की।
होलीका और प्रहलाद की कहानी !!
Holi And The Story Of The Devotee Prahlada
एक हिरण्याकश्यप नाम का राजा था जो खुद को भगवान मानता था। वह चाहता था की उसकी प्रजा उसी की पूजा करे। उसका एक पुत्र था जिसका नाम प्रह्लाद था। और प्रह्लाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। इस बात से उसका पिता हिरण्याकश्यप उसे पसंद नही करता और वह चाहता था की उसका पुत्र अपने पिता की पूजा करे इस बात से परेशान हिरण्याकश्यप अपने पुत्र को समझा कर थक चुका था और वह अपने पुत्र प्रह्लाद को बहुत सी यातनायें देता लेकिन फिर भी प्रह्लाद भगवान विष्णु का नाम जपता था। Story of Holi in Hindi
एक दिन हिरण्याकश्यप अपनी बहन होलिका से मिलकर एक योजना बनाई। होलिका को एक वरदान के अनुसार उसके पास एक पवित्र चादर थी जिसे किसी भी अग्नि जला नही सकती थी। उसने योजना बनाई की होलिका उस प्रह्लाद को गोद मे लेकर चिता पर बैठे जायेगी और चादर को ओढ़ लेगी जिससे होलिका को कुछ नही होगा और प्रह्लाद मारा जायेगा।
होलिका ने ऐसा ही किया प्रह्लाद गोद मे बैठा और सैनिको से चिता मे अग्नि जलाई , प्रह्लाद भगवान विष्णु का नाम का जाप कर रहा था तभी एक एक जोर की हवा चली और होलिका के उपर से चादर उड़ कर प्रह्लाद की उपर आ गयी, होलिका जल गयी और प्रह्लाद बच गया।
इस तरह बुराई पे अच्छाई की जीत हुई। होलिका में हम सारी नकारात्मकता और अहंकार को जलाते हैं और खुशी खुशी होली का त्योहार मनाते हैं। भक्त प्रह्लाद की कहानी
लेखन और संपादन: कहानी रिश्ते की : टीम
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