Header Ads

याद आती है गाँव और बचपन की पुरानी यादें | Short Story in Hindi

Short Story in Hindi - ganv ki purani yaadein | Childhood short story in hindi

बचपन की पुरानी यादें | Childhood Short Story in Hindi


दोस्तो मेरा नाम साहिल है, आज भी मुझे अपने गाँव की याद आती है। जिसमे मेरा बचपन खिला था, क्या थे वो दिन चलिए मैं आपको बताता हुं। ganv ki purani yaadein

मेरा बचपन गाँव में बीता है। एक घर था हमारा जिसमें खुला आँगन था। उसी आँगन में छरछरा के गिरती बारिश से नाली कब भरेगी ये देखा करता था। गर्मियों में दीवार से बनी तिकोनी छाया से समय का अंदाजा लगाता था। सर्दियों में उसी धूप और छाया से बनी धुंधली आकृति को निहारता था। कह सकते हैं कि वो आसमान की छत वाला आंगन सारे मौसमों का पिटारा था। लगाव था उस आँगन से कहीं न कहीं।



आंगन बड़ा था। रात को तीन बड़ी चारपाई पड़ जाती थीं उसमें। तीन परिवार अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ बैठ जाते थे। कहानियाँ होती थी। चुटकुले होते थे। पहलियाँ बूझी जाती थी। बच्चे अपनी अपनी रूचि की बातों के हिसाब से चारपाई बदल लेते थे। मुझे याद आता है कि ऐसी ही किसी रात मैंने आसमान से हमेशा से आँगन में पड़ने वाले दूधिया उजाले को ध्यान से देखा। अजीब सा आकर्षण और सुकून था उस उजाले में। पहली बार मन किया कि उजाले को और उजाले को स्रोत को ध्यान से देखूँ। आसमान में देखा तो पाया तारे इकट्ठे होकर ऊपर से झाँक रहे थे। 

गाँव की पुरानी यादें | Short Story in Hindi

और इन्हीं तारों के बीच चाँद निश्छल भाव से शांति से चमक रहा था। बुद्ध जैसी शांति और आम्रपाली जैसे सुंदरता लिए हुए चाँद ने तब से मेरे मन जगह बनानी शुरू कर दी थी। घर के बगल में लगे पीपल के पेड़। पीपल के पास से आम के बागों से होकर जाता हुआ मोटर का पानी और धूप से छाँव का सौदा करके तैनात खड़ा हुआ वो आम का बाग : इन बिना तथाकथित जीवन वाले जीवंत मित्रों के साथ चाँद भी मेरे करीब आने लगा था। अब मैं आँगन में लेटे लेटे चाँद को निहारने लगा था और बैकग्राउंड में चाचा जी की, कहानी के लिए उपयुक्त, चिरपरिचित आवाज में कहानी सुनता था। और बहुत ही आनंद से कहानी में रस लेते हुए चाँद के रहस्य को समझने की कोशिश करता था। बचपन की सुनहरी यादें - Childhood short story in hindi



शाम को जी भर खेल कर घर आते ही जल्दी से नल पर जाकर हाथ पैर धुलने होते थे। हाथ मुँह धुलते समय मन में पता रहता था कि जहाँ तहाँ चूल्हे की राख से लिपटी अपना कठोर पेट फुलाए गरम गरम रोटी और लोहे की कढ़ाई की खुशबू में पकी सब्जी इंतज़ार कर रही होगी। सांझ के खेल और दौड़ भाग में पूर्ण आनंद लेने के बाद लगी भूख और फिर उसके बाद इतना सोंधा रात का खाना फिर बदन की थकान मिटाने के लिए आंगन में बिछा हुआ बिस्तर। बिस्तर पर लेटे हुए कहानी। ऐसा लगता था हर शाम और रात उत्सव है। 



और इसी उमंग से भरे हुए मैं लेटे लेटे चाँद ताकता था। जैसे दिन भर की ख़ुशी, शाम का वो पूरा मंजर, रात की वो हर रोज की कहानी सब कुछ चाँद मेरे साथ महसूस कर रहा हो या मैं चाँद के साथ महसूस करता था। जैसे किसी सफर और खास जगह जाने पर कोई खास गाने या खास खुशबू में उस सफर और जगह तथा मंजर की याद अनायास ही कैद हो जाती हैं और कई बरसों बाद वही खुशबु और गाना पुरानी हर एक याद और भाव को बिना शब्दों और चित्रों की मदद से ताजा कर देता है वैसे ही चाँद में भी मेरी बचपन की न जाने की कितनी यादें घुलती रहती थी।

Short story on village in hindi Short Story in Hindi

सर्दियों के रातों में अलाव जलता था घर के बाहर खुले आसमान में। गाँव बड़े बुजुर्ग अपना काम धंधा निपटा कर सुकून से बैठते थे। अपनी अपनी कहानिया और बातें सुनाते थे, तब मैं चांदनी रात में उन बुजुर्गों के चेहरे, उनके हावभाव और बैठने का ढंग देखता था। कभी अलाव में चमकदार दहकती हुई कोयला बन चुकी लकड़ियों को देखता था। कभी आसमान में कोहरा लपेटे हुए चाँद देखता था। फिर उसी तरह चाँद के साथ कई सर्द रातें गुजारी। उस समय की हर चीज बड़ी ही सुन्दर और रुचिकर लगती थी। उन बुजुर्गों की बातें, जलती हुई आग, कोहरे में लिपटे घर, तारों से बिछा आसमान और आसमान में चमकता वही अपना चाँद।


ऐसे ही कभी कभी बादल आते थे चाँद के आसपास। कभी ज्यादा सफ़ेद बादल तो कभी थोड़े काले बदल। कभी बादल चलते थे तो कभी चाँद चलता हुए मालूम पड़ता था। ऐसी ही न जाने कितनी यादें, कितने मौसम, कितनी कहानियों का लेखा जोखा मैंने चाँद के साथ बैठ के सुना और महसूस किया है।

उम्र बीतती गयी। लोग बदलते गए, जगह बदलती गयी, मंजर बदला, कहानिया बदली, कहानियों के भाव, उनकी आवाज सब बदला मगर इन सबके साथ एक चीज नहीं बदली थी मेरे लिए और वो थी चाँद। आज भी चाँद ठीक वैसा ही है, वही रंग रूप, वही उजियारा, वही बादलों के साथ कभी आगे कभी पीछे निकलने की दौड़। 

बचपन की पुरानी यादें Short Story in Hindi

हाँ वो सूत कटती हुई बुढ़िया को किताबों की जानकारी ने जरूर मार दिया है। और चाँद में बचपन की सरल और सहज यादों के साथ जवानी के सपने, प्रेम, प्रेम की कविताओं, मोहतरमा की कुछ यादों जिनमें उनका रूठना और मेरा मनाना शामिल है और मेरे कुछ गीतों ने भी चाँद में अपनी अपनी जगह बना ली है।

कभी कभी बालकनी में बैठ कर चाँद में अपनी पसंद के अतीत का पन्ना पलट कर वैसे ही याद कर लेता हूँ जैसे कोई गाना या खुशबु से लोग कभी कभी अपनी पुरानी बातों को याद कर लेते हैं।

चाँद से मुझे लगाव है क्योंकि चाँद मेरी जीवंत डायरी है। ऐसी डायरी जो मेरे साथ चलती है हर जगह। और चलती रहेगी मेरी उम्र के साथ जीवन पर्यन्त।



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ