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पुरानी फिल्मों के शौकीन दर्शको की सबसे यादगार झलक

Old Film

Old Film 

एक यादगार जिंदगी की सुंदर कहानी की झलक - Old Film quotes 

पहली बार हम निकले है घर से किसी अनजाने के संग हो।

पुरानी फिल्मों के शौकीन दर्शको की सबसे यादगार फिल्म { नदिया के पार }

दोस्तो आज हम बात करेंगे हमारी और आपकी सबसे यादगार फिल्म "नदिया के पार" के बारे में। प्रिय दर्शको हिंदी फिल्मों के शौकीन और 35 साल या उससे अधिक उम्र का शायद ही कोई ऐसे व्यक्ति होंगे जिसने सन 1982 में आयी  राजश्री प्रोडक्शन की नदिया के पार ब्लॉकबस्टर देखी न होगी। जिससे देखकर हमे लगता था कि उसमे हम है।


दिल को छू लेने वाली वो सरलतम सच्ची प्रेम कहानी मानो हर दर्शक की कल्पना बन चुकी थी। जिसे वो अपनी कहानी बनाना चाहते थे। हर लाड़ली के माता पिता को भीगी हुई आंखों के साथ अपनी बेटी की जुदाई के दर्द का अहसास दिलाता, क्या मधुर शब्द थे उनके "जब तक पूरे ना हों फेरे सात" 

Beautiful Story of a Memorable life


गीत हो या फिर युवको की जवां मस्ती से सराबोर होली का मधुर गीत । हर युवा के दिल की धड़कन बढ़ाता वो गीत। कौन दिशा में ले के चला रे बटोहिया हो, क्या फिल्म थी आज भी वो दिन याद आते है। वह हम सबकी यादगार फरमाइश रही है। आज तीन दशक के बाद भी लगता है मानो कल की ही बात है।


गुंजा रे..... गुंजा रे.... चंदन चंदन चंदन.. हम दोनो में दोनो खो गये, देखो एक दुसरे के हो गए  राम जाने वो घड़ी कब आएगी जब होगा हमारे गठबंधन.. गुंजा रे.... है.. है.. चंदन चंदन चंदन 

Purani Filmo Ke Shaukin ki Sabse Yadagar Jhalak


उस प्यार भरी कहानी में हम सबकी अपनी अपनी कल्पनाएं थी, एक ऐसी लव स्टोरी जिसे देखकर हर युवक अपनी कल्पना चंदन के रूप में और हर युवती अपनी कल्पना गुंजा के रूप में करने पर मजबूर हो जाते थे। प्यार का वो सरलतम रूप जिसमे कुछ न कहकर भी सब कुछ समझा जा सकता था और सहा भी जाता था।


तो ऐसे ही यादगार आर्टिकल्स पढ़ने के लिए जुड़े रहे Kahanirishteki.com के साथ । धन्यवाद......



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