Gautam Buddha, Moral story in hindi |
गौतम बुद्ध की प्रेरक कहानी !! Buddha Moral Story in Hindi
नमस्ते दोस्तों आज हम एक बार फिर आपके बीच लेकर आये है, एक प्रेरणादायक कहानी, Gautam Buddha Moral Story in Hindi, जिनको पढ़कर आपकी सोच बदल जाएगी अगर स्टोरी आपको अच्छी लगे तो नीचे कमेंट करके जरूर बताए तो चलिए शुरू करते है आज की कहानी
उस वक्त की बात है जब गौतम बुद्ध इस धरती पर अवतरित थे, एक दिन गौतम बुद्ध धन के प्रचार के लिए वैशाली नगरी में जा रहे थे वेह अभी थोडे ही आगे गए थे की उन्होंने देखा की वैशाली नगरी के कुछ सैनिक भागते हुए एक लड़की का पीछा कर रहे थे । वह लड़की बहुत ही डरी हुई थी, वो एक कुएं के पास जाकर खड़ी हो गई और हांफने लगी उसे प्यास लगी थी तो उसे पानी पीना था ।
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भगवान बुद्ध ये सब देख रहे थे फिर उन्होंने उस बालिका को अपने पास बुलाया और कहा कि तुम उस कुएं से पानी निकालो ओर स्वयम भी पीओ और हमे भी पिलाओ। उतनी ही देर में वो सैनिक वहा पहुँच गए भगवान बुद्ध ने अपने हाथ के संकेत से उस सैनिको से रुकने को कहा । फिर उस बालिका ने गौतम बुद्ध को कहा कि महाराज मैं तो अछूत हूँ, मैं इस कुएं से पानी निकालुंगी तो जल दूषित हो जाएगा मैं आपको कैसे पानी पीला सकती हूँ.....
गौतम बुद्ध की कहानी- Gautam Buddha Moral Story in Hindi । moral story of lord budh
भगवान बुद्ध ने उसे फिरसे कहा बैठी मुझे बहुत जोर की प्यास लगी है पहले तुम मुझे पानी पिलाओ, उसी वक्त वहा पर वैशाली के राजा पहुंच गए उन्होंने बुद्ध को नमन किया और सोने के बरतन मे पानी देते हुए कहा महाराज ये लिजिए केवड़े ओर गुलाब का सुगंधित पानी आपके लिए है। लेकिन बुद्ध ने उस पानी को लेने से इंकार कर दिया और कहा कि हम इस बालिका से पानी पिएंगें।
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राजा थोड़ी देर वहा रुक गये, बुद्ध ने फिर से उस बालिका से अपनी बात दोहराई, फिर बालिका से रहा नही गया और इस बार साहस बटकोरकर उसने कुएं से पानी निकाला फिर पानी स्वयम भी पीया ओर बुद्ध को भी पिलाया । फिर पानी पीने के बाद बुद्ध ने बालिका से पुछा पुत्री तुम इतनी डरी हुई क्यु है। तुम्हे किससे भय है। Moral story in hindi
फिर बालिका ने पुरी बात बताई कि मुझे राजा के दरबार मे गाने का अवसर मिला था । मैंने गीत गाते हुए नृत्य किया सभा जनो ने खुब आनंद लिया महाराज को भी बहुत अच्छा लगा फिर उन्होंने अपनी माला मुझे भेट की लेकिन महाराज को किसीने बताया कि मैं एक अछूत कन्या हूँ ।
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फिर महाराज ने उस कन्या से पुछा की क्या तुम एक अछूत कन्या है। फिर मैंने बताया कि हां मैं अछूत हूँ । राजा ने यह सुनते ही अपने सैनिको को आदेश दिया कि इस कन्या को कैद खाने में डाल दो । मैं किसी तरह वहा से बचकर यहा तक पहुंची थी तो आप मुझे मिल गये, बुद्ध ने पास मे खड़े उस राजा को कहा कि सुनो राजन मैं चाहता हूँ कि मेरी इस बात को आप सदैव याद रखे के किसी भी इंसान की पहचान उसके धर्म या जाति से नही पर उसके गुण और कर्मो से की जाती है ।
जिस बालिका के मधुर कंठ से निकले गीत और नृत्य का आप सबने आनंद उठाया उसे पुरस्कार दिया जिनके कार्य इतने अच्छे है वे अछूत हो ही नही सकती और आप उसे अछूत कह रहे है, सारी प्रजा का पिता होकर ऊंच-नीच का भेदभाव रखते है । सुनो राजन यहा पर नीची सोच और छोटे कार्य करके अछूत होनेका परिचय तो आपने दिया है ।
Gautam Buddha ki kahani- Moral Story in Hindi
इसलिए मेरी नजरो में वह कन्या नही बल्की आप अछूत है। वैशाली नरेश को अपने इस कार्य से घृणा होने लगी और बहुत पछतावा हुआ फिर वह बुद्ध के चरणो में गिर पड़े ओर शमा माँगने लगे और कहा की आपकी इस बात को मैं सदैव याद रखूँगा फिर वहा से चले गए ।
Moral: तो दोस्तो इस कहानी से हमे यही शिक्षा मिलती है की कोई भी इंसान अपने कार्यो और विचारो से बड़ा बनता है, अपने धर्म या जाति से नही । ऐसे छोटे विचार रखकर खुद अछूत ना बने बल्की ऊंच-नीच का भेदभाव भूलकर एक अच्छे मानवता का परिचय दे.....
Gautam Buddha
लेखिता. { सुभाष चेखलिया }
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